झटका झिंझोड़ा अटका, पटका भटकाए न भटका गले में अटका गया न सटका मन में खटका चेहरा लटका कम्बख़्त आँख से झटपट टपका झूठ मेरा !
हिंदी समय में दिव्या माथुर की रचनाएँ